बुधवार, 6 अप्रैल 2016

विदेश सचिव स्तर की वार्ता

                                                            
      पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की वार्ता कुछ समय के लिये टाली जा चुकी है। यह पूरा घटनाक्रम किसी रामलीला के मंचन से कम नहीं नजर आई।इस मुद्दे को कुछ समय के लिये शांत करने की नीति भारत में सरकार के राजनैतिक सफर को अंतरित करता है।ऐसा महसूस हो रहा है कि भारत नहीं चाहता कि वो पाकिस्तान पर जवाबी कार्यवाही करे वो बातचीत करने का ढोंग कर विश्वव्यापी समर्थन हासिल करना चाहता है।हमें यह ध्यान रखना चाहिये आवश्यकता से अधिक सालीनता दुश्मन के सामने हमारी कायरता को भी  दिखाती है। क्योंकि जिनको जवाब देना होता है वो अपराधिक देश और संगढनों के सामने कार्यवाही करने के लिये हजार बार घिघियाता नहीं है। पूरा देश इस बात की मांग कर रहा है कि भारत सरकार अपनी सेनाओं को युद्ध करने की अनुमति क्यों नहीं देता है। क्या भारत इतना उदारवादी हो गया है कि अपनी अस्मिता को मरती हुई देखकर भी असहनशीलता को दिखाने से परहेज कर रहा है। इतना सबकुछ हो जाने के बाद तो पाकिस्तान भी अपना आपा खो दिया था,दूसरे मायनों में कहूं तो असहनशील हो गया था असहिष्णु हो गया था। पेशावर का आतंकी हमला और उसके बाद का पाकिस्तान की जवाबी पहल इसका तत्कालिक जीता जागता उदाहरण है। इसके पहले भी यही व्यवहार पाकिस्तान का देखा गया है। पाकिस्तान में जब भी उनके आतंकवादियों ने विभीषण जैसा व्यवहार किया तो उन्होने उन्हे नाकों चने चबवा दिये।
      हम बार बार अमन परस्त देश होने का गुणगान करते हैं।पूरा देश अभी विदेशी सहिष्णुता का परिचय दे रहा है। पूरे विश्व में बहुत से उदाहरण है जिसमें जब जब भी रूस,अमेरिका,ब्रिटेन के ऊपर आतंकवादियों ने आत्मघाती हमला किया तब तब आतंकवादियों और उनको शरण देने वाले देशों की जन्नत में घुस कर इन देशों ने पूरी तरह से निस्तेनाबूत कर दिया,नामो निशान मिटा कर रख दिया। गुरुदासपुर से पठानकोट के आतंकी हमलों के बावजूद भारत का पाकिस्तान को सबूत सौंपना,बार बार मीडिया के सामने पाकिस्तान से कार्यवाही करने की मांग करना,सचिव स्तर की बात चीत को खत्म करने की बजाय कुछ समय के लिये आंगे बढाना, आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बावजूद पाकिस्तान का कोई ठोस कदम ना उठाना, रक्षा मंत्री का बार बार अलग अलग प्रकार के बयान देना कि उन्होने हमे दर्द दिया है तो हम उन्हे भी दर्द देंगें जैसे घटना क्रमों से ऐसा महसूस होता है कि पाकिस्तान को समझाया जा रहा है अभी रुको हमारे देश का माहौल खराब है जब यह सही होगा तो हम भाईचारा निभायेंगें, आज के समय में जिस तरह का कायराना व्यवहार भारत के द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ निभाया जा रहा है वह किसी भी मायने में सही नहीं है। आप रूस और अमेरिका को देखिये इस साल के प्रारंभ से ही आईएस आईएस के ठिकानों को खत्म करने के लिये हमलों की बौछार कर रहे हैं।वो सीरिया या बगदादी से कार्यवाही की उम्मीद करते नहीं बैठे रहे।हमे भी कुछ ऐसा ही करना चाहिये।अब हम अपनी असहनशीलता को पाकिस्तान में दिखाने से क्यों परहेज कर रहीं है।अब तो हमारे पास खुद सबूत भी हैं और कई देशों का समर्थन भी प्राप्त है।

      हमने कई साल पहले कांधार के हमलावरों,संसद के हमलावरों को ससम्मान वापिस करके अपने नागरिकों को छुडाया।हमने पाकिस्तान की गतिविधियों को पाक अधिकृत काश्मीर में नजरंदाज कर दिया। हमने पाकिस्तान और चीन के संयुक्त व्यावसायिक और विदेशी रिस्तों को क्यों नजरंदाज कर रहे है। क्या हम रूस फ्रांस और अमेरिका से रत्ती भर सीख नहीं ले सकते है।पाकिस्तान पर उसके आकाओं का दबाव इतना ज्यादा बढ गया है कि वो पूरे विश्व से अपने संबंधों के रफू के लिये आतंकवादियों पर कुछ दिखावटी कार्यवाही की परन्तु संतोष जनक परिणाम नहीं देसका और ना ही दे सकेगा। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि आतंकवादी संगठनों को वहां इस्लाम का नुमांइदा माना जाता है। आईएसआई,पाकिस्तान की फौज मे ये संगठन अपना तथाकथित धार्मिक प्रभाव छोडते हैं। इस तरह के आतंकी हमले पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के मंसूबे में सुमार हैं। हम आतंकी हमलों से मिले सुबूतों से खुद की सरकार को युद्ध के लिये तैयार नहीं कर पाये तो पाकिस्तान को सजा देने के लिये कैसे तैयार कर लेंगें।हमे यह स्वीकार कर लेना होगा कि पाकिस्तान आतंक के जर्रे जर्रे से बनी आतंकवादियों की जन्नत है। उनकी सरकार का आतंक के खिलाफ कदम उठाना सरकार का खात्मा होने की पहल बन जायेगी। परवेज मुशर्रफ का सत्ता में आना इसी का उदाहरण था।हमें यह चाहिये कि अब आतंक के खिलाफ युद्ध से ही निराकरण करें।बातचीत तो प्रारंभिक स्तर है जिसका मौका बहुत पहले से पाकिस्तान को कई बार दे चुके है।हमारा एक करारा हमला इनके कान खडे कर देंगें और हमारे मित्र देश इस कार्यवाही में हमारा समर्थन करेंगें। अब बारी है हमारी सरकार के द्वारा बातचीत बंद करके जवाबी हमला करने का। 

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