सोमवार, 26 अक्तूबर 2015

विंध्य को ठेंगा दिखाती, इंदौर इनवेस्टमेंट समिट

विंध्य को ठेंगा दिखाती, इंदौर इनवेस्टमेंट समिट
ग्लोबल इनवेस्टमेंट समिट का परिणाम आ चुका है.।मध्यप्रदेश को  डिजिटल कैपिटल बनाने का प्रयास २०१५ तक करने का वादा करके इनवेस्टर्स वापिस लौट चुके है।एक लाख करोड से अधिक निवेश का प्रस्ताव पारित किया गया है।मध्य प्रदेश का भविष्य अब क्या निर्धारित होगा? यह प्रश्न आज से आने वाले भविष्य में छिपा हुआ है। हम सब को पता है कि शिवराज सिंह के मुख्य मंत्रित्व काल में इसके पूर्व भी दो बार निवेश हेतु अखिल भारतीय स्तर की मीटिंग कराई जा चुकी है। परन्तु वह समय था और यह समय है जिसमें हम आंकलन कर सकते है कि मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास का बोया गया पौधा आज किस हाल में है।
मध्य प्रदेश का दुर्भाग्य उस समय प्रारंभ हुआ था जब मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ विभाजित होकर अलग राज्य बना। आज भले ही लोग गर्व से विकास दर ११.८ बताई जा रही हो परन्तु छत्तीसगढ के संसाधनात्मक योगदान ना मिल पाने का दुख हमें आज भी है।हमारे प्रशासन की सबसे बडी कमजोरी है कि बैठकें अधिक होतीं है और उस पर अमल कम होता है। इसके पहले देश के अधिक्तर सुप्रसिद्ध उद्योगपतियों ने बहुत से वादे किये परन्तु वादे कभी मजबूत इरादे नहीं बन पाये। वजह वही,उपयुक्त सुविधायें और अवसर उपलब्ध ना कर पाना।हमें यह बात स्वीकार कर लेना चाहिये कि हमारे संसाधन का ६० प्रतिशत भाग आज भी छत्तीसगढ के पास जा चुका है।हम अपने संसाधनों का समुचित प्रयोग नहीं  कर पा रहे है।
हमारे पास गुड गवर्नेंस और कृषि का प्रमुख हथियार है। परन्तु हमारे पास इन शक्ति पुँजो को प्रयोग कर पाने की ललक नहीं है.सरकार के मंत्रीगण कार्यक्रमों में मुख्य आतिथ्य की आसंदी को सुशोभित करने से फुरसत नहीं है। आज हमें आवश्यकता है एक कारगर और प्रभावी नेतृत्व की, एक सशक्त नीति और मजबूत इरादों की। अपने लक्ष्य को निर्धारित करने और उसको सही लोकेशन के साथ उपयोग में लाने की प्रवृति को विकसित करने की।अब विंध्य को ही ले लीजिये। हम सब जानते है कि वर्तमान परिदृश्य में हमारे विंध्य से कितने प्रभावी राजनीतिज्ञ विधानसभा में बैठे है. कई लोग तो इस समिट में भी मौजूद थे।परन्तु आज  तक विंध्य को अपने खाली हाथ के साथ सरकार और राजनीतिज्ञों का चेहरा निहारने के अलावा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है।एक लाख करोड में उतना भी हिस्सा हमारे हाथ में नहीं आया जितने प्रतिशत में  पूरे मध्य प्रदेश मे विध्य प्रदेश का अस्तित्व है। हम सब जानते है कि सतना जिले में कई स्थानों में उद्योग लगाने के वादे हमारे मुख्यमंत्री जी कर के गये थे परन्तु आज तक वह वादे ठंडे बस्ते में है या प्रक्रिया बहुत धीमी है।
विंध्य प्रदेश कृषि,उद्योग,सब्जी,कोल्ड स्टोरेज,और वेयरहाउसिंग के क्षेत्र में बहुत सी संभावनायें है.उद्योगों के लिये चूना पत्थर,कोयला,बाक्साइड,और अन्य प्रकार के खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में हैं। परन्तु आज भी इन संसाधनों को आज इस समिट में सरकार,हमारे जन प्रतिनिधियों और उद्योगपतियों के द्वारा सरासर नकार दिया गया.यह विंध्य के साथ सौतेला रवैये से बढकर व्यवहार मध्य प्रदेश के द्वारा किया गया है।हमेशा से होता चला आया है कि विंध्य प्रदेश हर  मामले मे कहीं ना कहीं सौतेले रवैये से प्रताडित होता रहा है.यही वजह है कि पन्ना और छतरपुर जिले से सीधी जिले की स्थिति उद्योगों के मद्देनजर बहुत ही कमजोर रही है।इस सब स्थानों मे उद्योग और कृषि परिष्करण उद्योग विकसित होने की असीम संभावनाये है।यहाँ से उद्यमी युवाओं के निर्माण की महत्तम संभावनायें मौजूद है।सतना जिले में परसमनिया,मझगवाँ,और पन्ना जैसे स्थानों मे कृषि आधारित उद्योगों और खनिज तत्वों के प्रचुर स्रोत मौजूद है.मुख्यमंत्री जी जब परसमनिया आये थे अब उन्होने सतनावासियों से बहुत से उद्योगों और कृषि से संबंधित विकास की बात और वादे किये परन्तु उसका कोई लाभ सतना और विंध्य प्रदेश को नहीं प्राप्त हो पाया है.
अब समय आ गया है कि मध्य प्रदेश सरकार विंध्य प्रदेश को अनदेखा ना करे और अवसरों को परिणामों में परिवर्तित करे.कयोंकि यही हाल सन २००० से पहले छत्तीसगढ में आने वाले जिलों का भोपाल के द्वारा किया जाता था. हमें नहीं भूलना चाहिये कि विंध्य की भूमिका वही बता सकता है जो विंध्य की भूमि का है. और आज परिणाम हम सबके सामने है. विंध्य की अनदेखी करना मध्य प्रदेश की राजनैतिक,आर्थिक,सामाजिक और शैक्षिक प्रगति में सबसे बडा रिक्त स्थान निर्मित करेगा.इस लिये समय से पहले प्रशासन को जब जागे तभी सवेरा की कहावत को सार्थक करते हुये विंध्य प्रदेश को मालवा और भोपाल अंचल की तरह संमृद्ध बनाया जाये और संसाधनों का अधिकाधिक उपयोग कर निवेश का सर्वोत्तम अवसर उपलब्ध कराया जाये.

अनिल अयान

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