शनिवार, 2 नवंबर 2013

फ्लर्ट sameeksha by anil ayaan


फ्लर्ट को पढते पढते मुझे प्रतिमा खनका के लेखन से पहली बार परिचय हुआ.ऐसा लगा की किसी फिल्म की पटकथा से परिचय हो रहा है. प्रतिमा जी ने अपनी ज्यादा उमर ना होते हुये भी फ्लर्ट की इतनी अलग ह्टकर व्याख्या की वह किसी शब्दकोश में शामिल नहीं है. कभी कभी यह भी लगता है कि यह व्याख्यात्मक भाबना कहा तक सर्वमान्य है. क्योंकि इस  समाज में जो फ्लर्ट की व्याख्या की जाती है वह ऐसा बंदा होता है जो अपनी जिंदगी के विकास के लिये किसी भी दिल के साथ खिलवाड कर सकता है.वह किसी का भी इस्तेमाल कर सकता है.परन्तु लेखिका ने अंश नाम के मुख्य पात्र के माध्यम से यह बताया है कि समाज की वह परिभाषा गलत है. पूरी कथा में अंश का किरदार यह बताता है कि वह इंशान भी फ्लर्ट की श्रेणी में आता है. जिसे उसके हालात ,चालें और उसके फैसले अपनी इच्छा से चलाते है.जिसका खुद का विश्वास कई बार टूटा हो, जो खुद के फैसलों के अनुसार बदल जाते है.जिसके दिल से और खेल जाते है जिसका इस्तेमाल अन्य लोग कई बार कर करते है वो लोग भी फ्लर्ट की श्रेणी में आते है.यह उपन्यास एक मजबूर मध्यम वर्गीय परिवार के लडके अंश की जिदगी की दास्तान है जो बहुत ही स्मार्ट है और लडकियों से अपने को बचाने के चक्कर में खुद बखुद लडकियों के प्रेम प्रसंग में परत दर परत वख्त दर वख्त कैद होता चला जाता है वह एक फैशन माडल बन जाता है परन्तु इस मुकाम तक पहुँचने के लिये उसे अपने दिल की भावनाओं को गिरवी रख देता है और बाद में दूसरे की खुशी और सफलता के लिये खुद का इस्तेमाल करवाने के लिये हंसते हंसते हाँ भी कर देता है.
            कथा वस्तु की बात करे तो अंश जो मुख्य किरदार है वह एक मध्यमवर्गीय परिवार का युवा विद्यार्थी है जिसकी मा और बहन है पिता जी का देहांत हो गया है. वह स्कूल की पढाई कर रहा है. उसके दोस्त समीर और मनोज उसे हमेशा लडकियों के बारे में बताते रहते है. वहीं पर उसकी मुलाकात होती है प्रीति से जो उसके जिंदगी की सबसे ज्यादा करीब और बाद में उसकी मंगेतर भी बन जाती  है परन्तु अंश की माडलिंग के नित नये किस्से उसे मजबूर कर देते है कि वह अंश की पत्नी बन पाने में असमर्थ पाती है. स्कूल खत्म होने के बाद अंश माडलिंग आडीशन में चयनित होकर यामिनी के साथ और संजय के साथ मुम्बई जाता है और वहाँ पर यामिनी के सौन्दर्य पर आकर्षित हो जाता है परन्तु दिल टूटने के पहले उसे पता चलता है कि यामिनी शादीशुदा महिला है जो अपने पति की सहमति से यहाँ माडलिंग कर रही है. और जल्द ही और गैर मर्द के साथ शादी रचाकर जापान शिफ्ट हो जाती है और जब वह अंश की जिंदगी में वापिस लौटती है तो अंश की औलाद के साथ और यह वजह ही अंश की पत्नी सोनाली की आत्म हत्या करने का कारण बनता है.
अंश की जिंदगी में यामिनी से पहले जब वह काल सेंटर में काम कर रहा होता है तब कोमल नाम की लडकी भी आती है वह अंश से बेहद प्यार करती है परन्तु अंश नहीं. परिस्थितियाँ अंश को मजबूर करती है कि वह कोमल को उसकी जान बचाने के लिये यह कहे कि वह उससे प्यार करता है.और यही झूठ उसे फिर से फ्लर्ट शाबित कर देता है.अंश का मुम्बई मे माडलिंग के चलते डाली,योगिता और अर्पणा जैसी महत्वाकांक्षी लडकियों को सफलता के शिखर में पहुँचाने के लिये मजबूरी में और अपने मित्र संजय के विकास के लिये मानसिक दैहिक और समाजिक शोषण करना पडता है.अंश जब हर जगह से हार जाता है और एकाकी हो जाता है तब उसे उसी शहर की अमीर घर की लडकी सोनाली से मित्रता का प्रस्ताव मिलता है वह प्रस्ताव के लिये भी संजय जिम्मेवार होता है क्योंकि इसी बहाने उसके नये स्टूडियो का आर्थिक मददगार सोनाली के पिता उसे मिल जाते है. परन्तु सोनाली अंश में इतना डूब जाती है कि वह अपने अंश के रिस्तो की पब्लिसिटी कर देती है.और अंततःवह सोनाली सेशादी करने के लिये राजी हो जाता है परन्तु जब सोनाली को यह पता चलता है कि यामिनी उसके बच्चे की माँ बनकर वापिस उसकी जिंदगी में में आती है और अनजाने ही एक रिकार्डिंग मे संजय और अंश की चालाकी भरे शब्द सुन कर आत्म हत्या कर लेती है परन्तु नाकाम रहती है. इस तरह अंश नाम का मासूम सा शिमला का बच्चा अनजाने मुकाम पाने के लिये लडकियों के फ्लर्ट के लिये पूरे देश में मसहूर हो जाता है.
            पूरे उपन्यास में प्रतिमा जी ने जो भी बताना चाहा है वह तो उन्होने यह स्पष्ट कर ही दिया परन्तु अनजाने में यह भी बता दिया कि युवा वस्था का उठने वाला तूफान या तो किनारे लगा सकता है या सब कुछ अपने साथ बर्बाद भी कर सकता है. कोमल का प्यार, डाली और अन्य माडल्स का अपनत्व सिर्फ एक दिखावा था. कोमल चाहती तो अपने प्यार को बचासकती थी परन्तु गलतफैमियां उसे और प्रीति के प्यार को कुर्बान कर दिया. यामिनी का प्यार बार बार यह बताता है कि प्यार करने की कोई उमर नहीं होती. वह शादी के पहले और शादी के बाद भी किसी से हो सकता है अपने से अधिक और अपने से कम उमर के साथी से. सोनाली का चरित्र में यह बताता है कि अपनी जिंदगी के प्रति गरीब ही बस नही अमीर घर की लडकियाँ भी संजीदा होती है.संजय का चरित्र यामिनी का चरित्र पाठकों को यह  बताता है कि आज के समय में फ़ैशन उद्योग में किस तरह लोग अपनी स्वार्थपरता के लिये मित्रो के विश्वास का गला घोंट देते है. अंश का चरित्र बार बार चींख चींख कर पाठक से यह बात कहता है कि हमें अपने माता पिता की सलाह पे भी काम करना चाहिये.अपनी इच्छा से जो मन कहे उसे कैरियर में चुनना चाहिये.किसी दोस्त के बहकावे में नहीं आकर जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहिये.
            उपन्यास युवा पीढी में फैले प्रेमरोग और आकर्षण में विभेद करने में असमर्थता की गाथा बखान करता है.यह युवा वर्ग को बार बार अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने की सलाह देता है.और सबसे बडी बात यह बताता है दिलों से खेलना हमेशा कोई फैशन नहीं होता कभी कभी दिल मजबूरी में किसी से अनजाने खेल में शामिल हो जाता है और कभी किसी के द्वारा खेल लिया जाता है, प्रतिमा जी २९ वर्ष की उमर में यह उपन्यास पाठकों के बीच रखकर युवापाठकों की संख्या में इजाफा किया है.साहित्यिक सरोकार समाज चेतना में हो सकता है कि यह इतना खरा ना उतरे शीर्षक की हिन्दी बाहुल्यता का अभाव भी कहीं ना कहीं इसके प्रसिद्धि में एक रोडा जरूर बन सकती है.
            

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